हमारे लाड़ले - Vijender Singh

हरियाणा के लाल और भारत के मुक्केबाज़ी स्टार Vijender Singh की कहानी।

भिवानी के कलुवास गाँव का बेटा

हरियाणा के कलुवास गाँव में जन्मे विजेंदर ने भिवानी में अपने मुक्केबाज़ी के सपने की शुरुआत की।

सपनों ने दिखाई राह

अपने बड़े भाई से प्रेरित होकर विजेंदर ने गरीबी से निकलने और महानता पाने के लिए मुक्केबाज़ी शुरू की।

भारत का सितारा

2006 साउथ एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीतकर विजेंदर ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई।

बीजिंग 2008 में कांस्य पदक

विजेंदर ने ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज़ बनकर इतिहास रच दिया।

प्रोफेशनल मुक्केबाज़ी की ओर कदम

2015 में प्रोफेशनल बनने के बाद विजेंदर ने कई खिताब जीते और दुनिया को अपना दीवाना बना दिया।

जड़ों से जुड़ा

विजेंदर अपनी सफलता का श्रेय हरियाणा के खेल प्रेम और भिवानी बॉक्सिंग क्लब को देते हैं।

परिवार: सफलता की असली ताकत

विजेंदर सिंह का मानना है कि उनकी सफलता के पीछे उनके परिवार का सबसे बड़ा योगदान है।

आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा

विजेंदर की यात्रा भारत के युवा मुक्केबाज़ों को बड़े सपने देखने की प्रेरणा देती है।