हमारे लाड़ले, Navdeep Singh, एक प्रेरणादायक भारतीय पैरा-एथलीट हैं, जिन्होंने 2024 पेरिस पैरालंपिक्स में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया। उनकी यात्रा कठिनाइयों और संघर्षों से भरी हुई है, लेकिन उनकी मेहनत ने उन्हें शीर्ष पर पहुंचाया।
Navdeep का जन्म 11 नवंबर 2000 को पानीपत में हुआ था। शारीरिक विकलांगता और समाज की आलोचनाओं के बावजूद, नवदीप ने कभी हार नहीं मानी और खेल में अपनी पहचान बनाई।
Navdeep ने भाला फेंकने में अपना कौशल दिखाया और मेहनत से सफलता की दिशा में कदम बढ़ाया। उनके जुझारू संघर्ष ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
हमारे लाड़ले ने 2017 में एशियाई युवा पैरा खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी पहली बड़ी सफलता हासिल की। यह उनकी क्षमता का प्रमाण था और यह उनकी सफलता की शुरुआत थी।
नवदीप टोक्यो 2020 पैरालंपिक्स में चौथे स्थान पर रहे। पदक से चूकने के बावजूद उनका प्रदर्शन प्रेरणादायक था।
2021 में, नवदीप ने विश्व पैरा एथलेटिक्स ग्रैंड प्रिक्स में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी अंतरराष्ट्रीय पहचान को और मजबूत किया।
पेरिस 2024 में नवदीप ने 47.32 मीटर का थ्रो करते हुए स्वर्ण पदक जीता। यह भारत के लिए ऐतिहासिक जीत थी, और उनका पदक इरान के एथलीट की डिक्वालीफाई के बाद स्वर्ण में बदला।
हमारे लाड़ले नवदीप ने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। समाज की आलोचनाओं और नकारात्मकता को वह सकारात्मक ऊर्जा में बदलते गए।
नवदीप ने खेलों के साथ-साथ आयकर निरीक्षक के रूप में भी काम किया। उनका जीवन यह दिखाता है कि खेल और पेशेवर जीवन में संतुलन बनाना संभव है।
हमारे लाड़ले नवदीप सिंह का संघर्ष आज हर किसी के लिए प्रेरणा है। उनकी कहानी यह सिखाती है कि कोई भी चुनौती हमें हमारे सपनों से दूर नहीं कर सकती।