हमारी लाड़ली Geeta Phogat

हमारी लाड़ली Geeta Phogat

प्रारंभिक जीवन और प्रेरणा

गीता फोगाट का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ, जहां कुश्ती जीवन का एक हिस्सा थी। उनके पिता महावीर सिंह फोगाट, जो खुद एक पहलवान थे, ने गीता की प्रतिभा को बचपन में ही पहचान लिया और अपनी बेटियों, गीता और बबीता, को कुश्ती का प्रशिक्षण देने का फैसला किया।

प्रसिद्धि का सफर

प्रसिद्धि का सफर

गीता फोगाट का जीवन बदलने वाला क्षण 2010 में दिल्ली में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में आया। 55 किलोग्राम फ्रीस्टाइल वर्ग में प्रतिस्पर्धा करते हुए उन्होंने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। उन्होंने 2012 के लंदन ओलंपिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया और ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने वाली भारत की पहली महिला पहलवान बनीं।

गीता की उपलब्धियों ने नई पीढ़ी की महिला पहलवानों, जिनमें उनकी बहनें बबीता और विनेश फोगाट भी शामिल हैं, के लिए रास्ता बनाया।

उनकी कहानी, जिसे फिल्म दंगल ने जीवंत कर दिया, लाखों लोगों तक पहुंची और लैंगिक समानता, पारिवारिक समर्थन और उत्कृष्टता की खोज के संदेश को फैलाया।

2016 में, गीता ने पहलवान पवन कुमार से शादी की और अपने जीवन को कुश्ती के साथ और गहराई से जोड़ दिया। 2021 में, उनके घर एक बेटे का जन्म हुआ। गीता अब अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन के बीच संतुलन बनाए रखते हुए कुश्ती के प्रति अपनी लगन को जीवित रखे हुए हैं।

Geeta Phogat: हरियाणा पुलिस में DSP

Geeta Phogat ने अपने खेल के करियर में शानदार सफलता हासिल करने के बाद हरियाणा पुलिस में DSP (Deputy Superintendent of Police) के पद पर नियुक्ति प्राप्त की। यह उनके जीवन की एक नई शुरुआत थी, जहां उन्होंने अपने कड़ी मेहनत और समर्पण से एक नई भूमिका में भी सफलता प्राप्त की।

हरियाणा के एक छोटे से गांव से लेकर अंतरराष्ट्रीय कुश्ती के मंच तक का उनका सफर यह साबित करता है कि मजबूत इरादों और कड़ी मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। गीता की विरासत आने वाली पीढ़ियों को बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने के लिए प्रेरित करती रहेगी।

लड़कियों को आगे बढ़ने का संदेश

Geeta ने न सिर्फ खेल जगत में बल्कि सामाजिक बदलाव में भी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने दिखाया कि लड़कियाँ किसी भी क्षेत्र में लड़कों से कम नहीं हैं।

Geeta Phogat: एक मिसाल

Geeta Phogat केवल एक नाम नहीं है, यह संघर्ष, जीत, और भारत की बेटियों के लिए एक उम्मीद का प्रतीक है। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि मेहनत और जज़्बे से सब कुछ हासिल किया जा सकता है।