बबीता फोगाट का जन्म 20 नवंबर 1989 को हरियाणा के भिवानी जिले के बलाली गांव में हुआ। उनके पिता महावीर सिंह फोगाट स्वयं एक पहलवान थे और उन्होंने अपनी बेटियों को कुश्ती में प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया।
महावीर सिंह ने बबीता और उनकी बहन गीता फोगाट को प्रशिक्षित किया। उन्होंने कठोर प्रशिक्षण दिया, जिसमें शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की तैयारी शामिल थी।
बबीता फोगाट ने 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों में पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। इसके बाद उन्होंने 2014 के राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता।
बबीता का सफर आसान नहीं था। ग्रामीण परिवेश में कुश्ती का अभ्यास करना, लड़कों के साथ प्रतिस्पर्धा करना और समाज की रूढ़ियों का सामना करना उनके लिए बड़ी चुनौतियां थीं। लेकिन उनकी मेहनत और उनके पिता की प्रेरणा ने उन्हें हर चुनौती को पार करने की ताकत दी।
बबीता फोगाट और उनकी बहन गीता की कहानी ने फिल्म "दंगल" के माध्यम से लाखों लोगों को प्रेरित किया। इस फिल्म में दिखाया गया कि कैसे उनके पिता महावीर सिंह ने समाज के विरोध के बावजूद अपनी बेटियों को पहलवान बनाया। फिल्म ने न केवल बबीता के संघर्ष को जन-जन तक पहुंचाया, बल्कि यह भी दिखाया कि लड़कियां किसी भी क्षेत्र में लड़कों से कम नहीं हैं।
बबीता फोगाट न केवल एक कुश्ती चैंपियन हैं, बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। वह महिला सशक्तिकरण और शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए काम करती हैं।
बबीता फोगाट भारतीय महिला कुश्ती की एक प्रतीक हैं। उनकी उपलब्धियां और संघर्ष की कहानियां यह साबित करती हैं कि मेहनत और समर्पण से हर मुश्किल को जीता जा सकता है। उन्होंने न केवल कुश्ती में भारत को गौरवान्वित किया, बल्कि लड़कियों को उनके सपने पूरे करने की प्रेरणा भी दी।