परिचय: क्या है Svalbard Global Seed Vault?
Svalbard Global Seed Vault, जिसे “प्रलय के समय का बीज बैंक” भी कहा जाता है, एक अंतर्राष्ट्रीय बीज भंडारण केंद्र है। यह नॉर्वे के Svalbard द्वीपसमूह में स्थित है, जो आर्कटिक सर्कल के करीब है। इसका मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं, युद्ध, जलवायु परिवर्तन या अन्य किसी संकट की स्थिति में फसल विविधता को सुरक्षित रखना है।
कैसे हुआ इसका निर्माण और क्यों चुना गया Svalbard का स्थान?
2008 में स्थापित, Svalbard Global Seed Vault को विशेष रूप से इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि यह किसी भी प्रकार के प्राकृतिक या मानव-निर्मित संकट का सामना कर सके। इसका निर्माण गहरे पहाड़ों के अंदर किया गया है और इसे ऐसी जगह पर बनाया गया है जहाँ प्राकृतिक रूप से ठंडी जलवायु हो। इस स्थान का चयन इस कारण किया गया कि यहाँ का permafrost (साल भर जमी रहने वाली मिट्टी) प्राकृतिक ठंड का स्रोत है, जो बीजों को लंबे समय तक संरक्षित करने में सहायक है। यदि बिजली भी बंद हो जाए, तो भी यहाँ का तापमान बीजों को लंबे समय तक सुरक्षित रख सकता है।
Svalbard Seed Vault में बीजों का संरक्षण कैसे होता है?
Svalbard Seed Vault में बीजों को अत्यधिक ठंडे और शुष्क वातावरण में रखा जाता है। हर बीज पैकेट को वैक्यूम सील करके -18 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखा जाता है। बीजों की विविधता दुनिया भर की फसलें जैसे कि चावल, गेहूं, मक्का, जौ, दालें और अन्य खाद्य पदार्थों की होती है। यह सुनिश्चित करता है कि इन बीजों का उपयोग भविष्य में किसी भी संकट की स्थिति में किया जा सके।
बीजों के भंडारण की क्षमता और वैश्विक भागीदारी
Svalbard Seed Vault दुनिया भर के सभी देशों से प्राप्त बीजों को जमा करता है और इसमें 4.5 मिलियन तक बीजों की किस्मों को स्टोर करने की क्षमता है। वर्तमान में यहाँ लगभग 1.1 मिलियन बीज नमूनों का भंडारण है, जो विभिन्न फसल प्रजातियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इस परियोजना में नॉर्वेजियन सरकार, Global Crop Diversity Trust (Crop Trust) और Nordic Genetic Resource Center शामिल हैं। बीजों का मालिकाना हक उन देशों या संस्थानों का होता है जिन्होंने इन्हें स्टोर किया है, और किसी भी परिस्थिति में बीजों का इस्तेमाल सिर्फ उनकी अनुमति से ही होता है।
Svalbard Seed Vault का महत्व और कार्यक्षेत्र
Svalbard Seed Vault का मुख्य उद्देश्य “backup” के रूप में काम करना है। उदाहरण के लिए, यदि किसी कारणवश किसी देश का बीज बैंक नष्ट हो जाता है या जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों का नुकसान होता है, तो इस बीज बैंक में संरक्षित बीजों का उपयोग करके भविष्य में फसल उगाई जा सकती है। इससे वैश्विक खाद्य सुरक्षा को बनाए रखने में मदद मिलती है और आने वाली पीढ़ियों के लिए फसलों की विविधता को संरक्षित किया जा सकता है।
Svalbard Seed Vault में बीज कैसे पहुँचते हैं और उनका उपयोग कैसे किया जाता है?
दुनिया भर के देश अपने महत्वपूर्ण बीजों को यहाँ भेजते हैं, जिन्हें Svalbard में वैक्यूम-सील पैकेट में जमा किया जाता है। यह बीज केवल तभी निकाले जाते हैं, जब किसी क्षेत्र में किसी खास बीज की किस्म पूरी तरह से समाप्त हो जाती है। उदाहरण के लिए, 2015 में सीरियाई गृहयुद्ध के दौरान, अलेप्पो में स्थित एक बीज बैंक नष्ट हो गया था। इसके बाद, Svalbard Seed Vault में संरक्षित बीजों से उन फसलों को वापस उगाया गया। इस घटना ने दुनिया को यह दिखाया कि Svalbard Seed Vault जैसे भंडार कितने महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
भविष्य के लिए Svalbard Seed Vault का योगदान
जलवायु परिवर्तन, तेजी से बढ़ती आबादी और खाद्य सुरक्षा के प्रति बढ़ती चिंताओं के कारण Svalbard Seed Vault का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है। यह दुनिया की फसल विविधता को एक सुरक्षित स्थान पर संरक्षित करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि आने वाले समय में भी हम विभिन्न खाद्य पदार्थों की फसलें उगा सकें।
Svalbard Global Seed Vault में भारत का योगदान: कृषि विविधता और वैश्विक खाद्य सुरक्षा की रक्षा
भारत ने Svalbard Global Seed Vault में अपनी कृषि विरासत को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
- मुख्य फसलों के बीजों का भंडारण: भारत ने धान, गेहूं, बाजरा और दलहन जैसी प्रमुख फसलों के बीज नमूनों को इस बीज बैंक में जमा किया है। भारत इन फसलों का एक प्रमुख उत्पादक है, और इन फसलों के बीजों को संरक्षित करना वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
- विविध आनुवंशिक किस्में: भारत की जैव विविधता को ध्यान में रखते हुए, इस बीज बैंक में जलवायु अनुकूल और विभिन्न पारिस्थितिकी क्षेत्रों के अनुकूल स्थानीय बीज किस्मों को शामिल किया गया है। उदाहरण के लिए, भारत ने सूखा-रोधी और बाढ़-रोधी चावल की कई किस्में जमा की हैं, जो कृषि अनुसंधान और जलवायु अनुकूलन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- ICAR और NBPGR के साथ साझेदारी: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (NBPGR) Svalbard Global Seed Vault में भारत के बीजों का प्रबंधन करते हैं। ये संस्थान भारत की कृषि विविधता को संरक्षित करने का कार्य करते हैं और बीजों के नमूनों को समय-समय पर अद्यतन करते हैं ताकि नई किस्में और उनकी उपयुक्तता सुनिश्चित हो सके।
- फसल विविधता पर वैश्विक सहयोग: भारत की भागीदारी वैश्विक सहयोग के महत्व को रेखांकित करती है, ताकि कृषि संसाधनों की सुरक्षा की जा सके। Svalbard Vault जैसी पहलों के माध्यम से, भारत वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए वैश्विक बीज संग्रह में योगदान दे रहा है, जिससे ऐसी फसलों का संरक्षण होता है जो जलवायु परिवर्तन, कीटों और बीमारियों का सामना कर सकती हैं।
- जलवायु सहनशीलता: जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित देशों में से एक होने के कारण, भारत द्वारा ऐसी बीज किस्मों का योगदान जो अत्यधिक मौसम की स्थितियों को सहन कर सकें, अत्यंत महत्वपूर्ण है। ये बीज भविष्य में ऐसी फसल किस्मों के विकास में सहायक हो सकते हैं जो जलवायु में होने वाले बदलावों का सामना कर सकें और इससे क्षेत्रीय और वैश्विक खाद्य सुरक्षा को समर्थन मिलेगा।
भारत का Svalbard Global Seed Vault में योगदान वैश्विक खाद्य सुरक्षा और कृषि सहनशीलता के प्रति उसके संकल्प को दर्शाता है, जो कि भावी पीढ़ियों के लिए फसल विविधता को संरक्षित करने के महत्व को उजागर करता है।
निष्कर्ष
Svalbard Global Seed Vault, दुनिया की खाद्य सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण संरचना है। “प्रलय के समय का बीज बैंक” के रूप में यह किसी भी प्रकार के वैश्विक संकट के समय एक आशा की किरण के रूप में देखा जा सकता है। इसमें संरक्षित फसल विविधता न केवल वर्तमान पीढ़ी बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।Donald Trump नए President निर्वाचित हुए।