आगामी Week में बाजार की मुख्य हलचल और निवेशकों की रणनीति
आने वाला हफ्ता भारतीय Stock Market के लिए कई बड़े आर्थिक फैसलों और आंकड़ों के चलते बेहद अहम होने वाला है। निवेशकों की नजर US Federal Reserve (FOMC Meet), Bank of England (BOE) और Bank of Japan (BOJ) की मौद्रिक नीति (monetary policy), US GDP, और कई IPOs पर होगी।
पिछले week, बाजार में BSE Sensex में 0.5% की तेजी रही, जो 82,133 पर बंद हुआ। वहीं, Nifty 50 ने 0.4% की बढ़त हासिल कर 24,768 के स्तर पर सप्ताह समाप्त किया। हालांकि, Midcap और Smallcap शेयरों में मिला-जुला प्रदर्शन देखने को मिला।
विशेषज्ञों का मानना है कि buy-on-dips रणनीति जारी रह सकती है और बाजार में सेक्टर आधारित रोटेशन तथा स्टॉक विशेष गतिविधियां देखने को मिल सकती हैं।
आगामी week में ध्यान देने योग्य 10 मुख्य कारक
1. FOMC मीटिंग और US GDP डेटा
19 दिसंबर को होने वाली US Federal Reserve की वर्ष की अंतिम नीति बैठक पर सभी की नजर होगी। विशेषज्ञ 25 बेसिस पॉइंट्स की दर कटौती की उम्मीद कर रहे हैं। इसके साथ ही, अगले साल 2025 के लिए आगे और दर कटौती को लेकर केंद्रीय बैंक का रुख और अर्थव्यवस्था तथा मुद्रास्फीति पर उनकी टिप्पणी निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण होगी।
इसी दिन, US GDP (Q3CY24) का आंकड़ा भी जारी होगा। पिछली दो तिमाहियों के अनुसार, सितंबर तिमाही में अमेरिकी अर्थव्यवस्था ने 2.8% की वृद्धि दर्ज की, जो जून तिमाही के 3% के मुकाबले कम है।
2. BOE और BOJ की मौद्रिक नीति बैठकें
Bank of England और Bank of Japan की भी बैठकें 19 दिसंबर को होंगी। BOE द्वारा ब्याज दर को 4.75% पर बनाए रखने की संभावना है, जबकि BOJ अपनी दरों को 0.25% पर अपरिवर्तित रख सकता है। हाल के सरकारी खर्चों में वृद्धि के चलते मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी की चिंता दोनों केंद्रीय बैंकों के लिए अहम हो सकती है।
3. वैश्विक आर्थिक आंकड़े
इस week Manufacturing और Services PMI Flash Numbers (दिसंबर) जैसे कई महत्वपूर्ण वैश्विक आंकड़े जारी होंगे। इसके अलावा, US Retail Sales, Industrial Production, और Consumer Spending जैसे आंकड़े भी बाजार की दिशा तय करेंगे।
यूरोप, यूनाइटेड किंगडम और जापान से नवंबर माह की मुद्रास्फीति दर पर भी निवेशकों की नजर होगी।
4. घरेलू आर्थिक आंकड़े
घरेलू स्तर पर, दिसंबर के लिए Manufacturing और Services PMI डेटा और नवंबर का WPI Inflation 16 दिसंबर को जारी होगा। इसके अलावा, 20 दिसंबर को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की पिछली नीति बैठक के मिनट्स और विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) के आंकड़े भी आएंगे।
5. FII और DII गतिविधियां
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) का बहिर्वाह पिछले दो हफ्तों से धीमा हुआ है। दिसंबर में अब तक FIIs ने 11,707 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं, जबकि DIIs ने 4,672 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
वहीं, रुपये की कमजोरी जारी है। यह सप्ताह 84.7610 पर बंद हुआ, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है।

6. कच्चे तेल की कीमतें और डॉलर इंडेक्स
Brent Crude की कीमत 4.74% बढ़कर $74.49 प्रति बैरल तक पहुंची, लेकिन यह 200-दिवसीय EMA से नीचे बनी हुई है, जो भारत जैसे तेल आयातक देशों के लिए सकारात्मक है। US Dollar Index 107 के स्तर तक बढ़ा, जबकि 10-वर्षीय US Treasury Yield भी 4.4% पर बंद हुई।Steve Smith ने शानदार वापसी करते हुए बनाया शतक: India Vs Australia 3rd Test
7. IPO गतिविधियां
अगले week 6 मेनबोर्ड और 3 SME IPOs बाजार में दस्तक देंगे। इनमें DAM Capital Advisors, Transrail Lighting, Mamata Machinery, Concord Enviro Systems, और Sanathan Textiles जैसे प्रमुख IPO शामिल हैं।
Ventive Hospitality का IPO 20 दिसंबर को खुलेगा। इसके अलावा, Vishal Mega Mart और Sai Life Sciences जैसी कंपनियां बाजार में लिस्ट होंगी।
8. तकनीकी परिदृश्य (Technical View)
पिछले हफ्ते Nifty 50 ने गिरावट वाले ट्रेंडलाइन के ऊपर बंद किया और Bollinger Bands के ऊपरी बैंड में प्रवेश किया। 24,700 का स्तर महत्वपूर्ण होगा। इसके ऊपर टिकने पर 24,860 और 25,000 तक तेजी संभव है। वहीं, नीचे गिरने पर 24,500 और 24,350 का स्तर सपोर्ट के रूप में कार्य करेगा।
9. डेरिवेटिव संकेत (F&O Cues)
डेरिवेटिव आंकड़ों के अनुसार, Nifty 50 के लिए 24,500 से 25,000 का स्तर अहम रहेगा। अधिकतम कॉल ओपन इंटरेस्ट 25,000 पर है, जबकि अधिकतम पुट ओपन इंटरेस्ट 24,500 पर है।
10. India VIX (Volatility Index)
India VIX में 7.69% की गिरावट के साथ यह 13.05 पर आ गया, जो पिछले तीन हफ्तों से कम हो रहा है। कम वोलैटिलिटी के चलते बुल्स को समर्थन मिलने की संभावना है।
निष्कर्ष
आगामी हफ्ते में Stock Market में समेकन (consolidation) और सेक्टर रोटेशन के साथ मामूली तेजी देखने को मिल सकती है। निवेशकों को प्रमुख आर्थिक आंकड़ों, केंद्रीय बैंकों की नीति, और IPO गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए।