India की Q2 GDP Growth में गिरावट से अर्थव्यवस्था की गति पर सवाल
India की Q2 GDP growth जुलाई-सितंबर तिमाही में केवल 5.4% रही, जो नीति निर्माताओं, बाजारों और उद्योग जगत के लिए चिंता का विषय बन गई है। यह पिछले सात तिमाहियों में सबसे धीमी वृद्धि है, जो अक्टूबर-दिसंबर 2023 के बाद से नहीं देखी गई। यह आंकड़ा उम्मीदों से काफी नीचे रहा और देश की आर्थिक स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
विश्लेषकों ने India की Q2 GDP Growth 6.5% के करीब रहने का अनुमान लगाया था, जो पहले से ही आरबीआई (RBI) के 6.8% के पूर्वानुमान से कम था। RBI ने यह संशोधित पूर्वानुमान अक्टूबर में पेश किया था, जबकि इससे पहले यह 7% ग्रोथ का भरोसा जता रहा था। यह दुर्लभ है कि वास्तविक ग्रोथ दर केंद्रीय बैंक की उम्मीद से 160 बेसिस पॉइंट कम हो। अब सरकार और RBI के सामने अर्थव्यवस्था को वापस 6.5% की ग्रोथ की राह पर लाने की चुनौती है।
Q2 की धीमी Growth के कारण
इस गिरावट के पीछे कई कारक हैं। Nifty कंपनियों की तिमाही कमाई मात्र 4% बढ़ी, और यह लगातार दूसरी तिमाही रही जब कमाई कम रही। खासतौर पर metal और oil & gas कंपनियों की मार्जिन कम होने से प्रदर्शन खराब रहा। FMCG सेक्टर में कमजोर खपत दिखी, जबकि cement कंपनियों का मुनाफा 40% से अधिक गिर गया। बैंकों ने बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन microfinance loans और क्रेडिट कार्ड जैसे असुरक्षित ऋणों में तनाव नजर आया, जिसे RBI ने 2023 के अंत में ही चिह्नित कर लिया था।
IIP और कोर सेक्टर के आंकड़े भी पिछले चार महीनों से निचले सिंगल डिजिट में रहे हैं। ग्रामीण खपत में सुधार और Q1 के बाद सरकारी capex में बढ़ोतरी की उम्मीदें पूरी नहीं हो सकीं।
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सरकारी Capex और नीतिगत भूमिका
FY22-FY24 के दौरान भारत की 7-8% GDP ग्रोथ का बड़ा कारण सरकारी capex था, जो लगातार 7-11% की दर से बढ़ रहा था। लेकिन Q2 2024 में यह घटकर केवल 5.4% रह गया। अप्रैल-अक्टूबर 2024 के बीच केंद्रीय सरकारी capex में पिछले साल की तुलना में 15% की गिरावट आई। अक्टूबर 2024 में, 51,579 करोड़ रुपए का capex हुआ, जो अक्टूबर 2023 के 56,296 करोड़ रुपए से करीब 10% कम है।
राज्य सरकारों के capex पर भी असर पड़ा, जो Ladki Bahin Yojana जैसी आय हस्तांतरण योजनाओं के कारण राजस्व व्यय बढ़ने से धीमा हो गया। केंद्र सरकार का घटा हुआ खर्च आर्थिक गति बनाए रखने में बड़ी कमी साबित हुआ।
क्या ग्रोथ कृत्रिम रूप से बढ़ाई गई थी?
2021 से 2023 के बीच India की GDP ग्रोथ दर 7%+ थी, लेकिन यह संभवतः वित्तीय और मौद्रिक नीतियों में ढील का परिणाम थी। पिछले चार वर्षों में भारत का राजकोषीय घाटा 5% से अधिक रहा, और 2023 की शुरुआत तक मौद्रिक नीति भी उदार रही। इसके अलावा, वैश्विक तरलता और फेडरल रिजर्व की डॉलर प्रिंटिंग ने भारतीय start-ups और fintech कंपनियों में भारी निवेश किया, जिससे खपत को बढ़ावा मिला।
RBI ने retail lending के अत्यधिक विस्तार के जोखिम को पहचानते हुए 2023 में कड़े कदम उठाए। हालांकि कुछ आलोचक इसे अचानक किया गया कदम मानते हैं, केंद्रीय बैंक को 7%+ inflation के लगातार महीनों के बाद ऐसा करना जरूरी था।
पिछले अनुभव से अब यह स्पष्ट है कि भारत की संभावित ग्रोथ दर 6.5% है। 7% से अधिक की ग्रोथ दर घरेलू और वैश्विक तरलता के कारण अस्थायी थी।
क्या ग्रोथ वापस पटरी पर आएगी?
चुनौतियों के बावजूद, कुछ सकारात्मक संकेत भी हैं। kharif की शानदार फसल और उच्च जलाशय स्तरों के कारण rabi फसल भी अच्छी होने की उम्मीद है। सरकारी capex में भी अक्टूबर से तेजी आने की संभावना है। हालांकि, डेटा मिश्रित संकेत दे रहा है। Two-wheeler sales नवंबर में 19% बढ़ीं, लेकिन heavy commercial vehicle बिक्री 7% और car sales 14% गिरी हैं। कुछ शहरों में रियल एस्टेट बाजार में मांग कमजोर हो रही है।
दिसंबर की नीति बैठक में RBI के लिए मुश्किलें
GDP की सुस्ती ने RBI को 6 दिसंबर की मौद्रिक नीति बैठक से पहले मुश्किल स्थिति में ला दिया है। मुद्रास्फीति 6.2% पर है, जो RBI के 2-6% के लक्ष्य सीमा से ऊपर है। ऐसे में ब्याज दरें घटाने की संभावना सीमित है, भले ही सरकार इस पर दबाव बना रही हो। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में ब्याज दर में कटौती की आवश्यकता पर संकेत दिए।
एक संभावित कदम Cash Reserve Ratio (CRR) को 4.5% से घटाकर 4% करना हो सकता है। इससे 1 लाख करोड़ रुपए की तरलता बैंकिंग सिस्टम में आ सकती है। यह कदम MPC के दायरे से बाहर होने के कारण RBI कभी भी लागू कर सकता है।
लंबी अवधि की चिंताएं
अर्थशास्त्री अब GDP growth का अनुमान 6-6.5% तक घटा रहे हैं, जो पिछले वर्षों के 8% औसत से काफी कम है। अगर यह सुस्ती जारी रही, तो निजी capex में सुधार और निवेशकों का विश्वास कमजोर हो सकता है, जिससे आर्थिक गिरावट का चक्र शुरू हो सकता है। सरकार और RBI को इस स्थिति से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
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