Kisan andolan के चलते ambala में Internet services closed, दिल्ली कूच के लिए किसानों का प्रदर्शन जारी
Kisan andolan पर उपराष्ट्रपति का सुझाव: सरकार किसानों से करे संवाद, आम जनता की सहूलियत बनी रहे
हरियाणा के अंबाला जिले में kisan andolan के मद्देनजर कई गांवों में इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दी गई हैं। प्रदेश सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, डंगदेहरी, लोहगढ़, मानकपुर, डडियाना, बारी घेल, लहर्स, कालू माजरा, देवी नगर, सद्दोपुर, सुल्तानपुर और काकरू गांवों में इंटरनेट सेवाएं 9 दिसंबर तक बंद रहेंगी। यह कदम किसानों द्वारा संसद तक मार्च करने की योजना के मद्देनजर उठाया गया है।
किसानों की मुख्य मांगें
पंजाब के किसानों का एक जत्था, संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले, शुक्रवार, 6 दिसंबर को शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर कूच कर चुका है। किसानों की प्रमुख मांगें हैं:
- फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी।
- बिजली दरों में बढ़ोतरी पर रोक।
- किसानों और कृषि मजदूरों के लिए कर्ज माफी और पेंशन।
- लखीमपुर खीरी हिंसा और 2020-21 के किसान आंदोलन के दौरान हुई घटनाओं के पीड़ितों को न्याय।
उपराष्ट्रपति का सुझाव: संवाद से सुलझे मुद्दे
मुंबई में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-केन्द्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (ICAR-CIRCOT) के शताब्दी स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने kisan andolan पर अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि संकटग्रस्त और आंदोलनरत किसान देश की समग्र भलाई के लिए शुभ संकेत नहीं हैं। उपराष्ट्रपति ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से पूछा कि क्या किसानों से कोई लिखित वादा किया गया था और अब तक उस पर क्या कार्रवाई हुई। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को तुरंत किसानों के साथ संवाद स्थापित करना चाहिए।
शंभू बॉर्डर पर सुरक्षा कड़ी
हरियाणा के अंबाला जिले में शंभू बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी गई है। अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है और भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (Section 163) के तहत चार या अधिक लोगों के गैरकानूनी रूप से इकट्ठा होने पर पाबंदी लगा दी गई है। पुलिस का कहना है कि किसानों ने इस प्रदर्शन के लिए पूर्व अनुमति नहीं ली है, जबकि किसान संगठनों का दावा है कि उन्होंने पहले ही अपनी योजना की जानकारी संबंधित अधिकारियों को दे दी थी।
संभावित टकराव की स्थिति
अगर किसानों को बॉर्डर पार करने की अनुमति नहीं दी जाती है, तो हरियाणा में किसानों और सुरक्षाकर्मियों के बीच टकराव की आशंका है। ऐसा पहले भी इस साल 13 और 21 फरवरी को हुआ था, जब प्रदर्शनकारियों को रोकने पर हिंसक झड़पें हुई थीं।
दिल्ली पुलिस का तैयारियों का दावा
दिल्ली पुलिस ने किसान आंदोलन को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा कड़ी कर दी है। सिंघु बॉर्डर पर सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है, और एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि पुलिस “किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।”
किसानों और पुलिस के बीच संघर्ष: सोशल मीडिया पर वीडियो
आज शंभू बॉर्डर पर किसानों और पुलिस के बीच संघर्ष की खबरें आ रही हैं। कई X (Twitter) यूज़र्स ने संघर्ष के वीडियो साझा किए हैं, जिनमें प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़पें दिख रही हैं। इन वीडियो में पुलिस की लाठीचार्ज और किसानों द्वारा विरोध प्रदर्शन करते हुए अपनी मांगें उठाने के दृश्य नजर आ रहे हैं। यह संघर्ष और बढ़ने की संभावना है, क्योंकि किसान अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं और पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ विरोध कर रहे हैं।
किसान फिर से अपने हक के लिए सड़कों पर हैं, लेकिन सरकार उनकी मांगों को अनसुना कर रही है।
MSP की गारंटी और उचित मुआवजा किसानों का अधिकार है, बैरिकेड और कीलें नहीं।
सरकार संवाद करे, समाधान दे।अन्नदाता की इज्जत, देश की जरूरत।#MSP #KisanAndolan #FarmersProtest #FarmersRights… pic.twitter.com/Y5rM19K83d
— Abhi Dahiya (@abhiidahiya) December 4, 2024
आम जनता की सहूलियत पर ध्यान देना जरूरी
राज्य सरकार को इस बार सुनिश्चित करना चाहिए कि kisan andolan के कारण आम जनता को सड़क बंद होने या अव्यवस्था का सामना न करना पड़े। पिछले आंदोलनों में देखने को मिला है कि रास्तों के अवरुद्ध होने से यात्रियों और स्थानीय लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। खासकर स्कूल, दफ्तर और आपातकालीन सेवाओं पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। सरकार को सख्ती से यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आंदोलनकारियों और प्रशासन के बीच समाधान की दिशा में काम हो, ताकि आम जनता का जीवन प्रभावित न हो। कानून-व्यवस्था बनाए रखना और जनसुविधाएं सुचारू रूप से चलाना राज्य की प्राथमिकता होनी चाहिए।Pink Ball के king Mitchell Starc: India के खिलाफ Second Test के पहले दिन जलवा!
तीसरी बार दिल्ली कूच का प्रयास
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यह पिछले 10 महीनों में किसानों द्वारा राष्ट्रीय राजधानी तक मार्च करने का तीसरा प्रयास है। इससे पहले 13 और 21 फरवरी को किए गए प्रयासों में पुलिस और किसानों के बीच टकराव हुआ था।
सरकार और किसानों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। जहां किसान अपने अधिकारों और मांगों के लिए दृढ़ हैं, वहीं सरकार ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह आंदोलन क्या मोड़ लेता है।
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