Ketan Parekh का नवीनतम बाज़ार हेरफेर घोटाला|
Indian stock market में कुख्यात Ketan Parekh एक बार फिर मुश्किल में फंस गए हैं। Securities and Exchange Board of India (SEBI) ने पारेख से जुड़ी एक महत्वपूर्ण फ्रंट-रनिंग योजना का पर्दाफाश किया है, जो पहले शेयर बाजार में हेरफेर के लिए जेल जा चुका है। इस बार, उस पर भारतीय मूल के सिंगापुर के रोहित सालगावकर के साथ मिलकर अवैध लाभ के लिए अंदरूनी जानकारी का फायदा उठाने का आरोप है। जांच में कई संस्थाओं से जुड़े धोखाधड़ी के जटिल जाल का पता चला है, जिसके कारण इसमें शामिल लोगों को कड़ी सजा दी गई है।
योजना का खुलासा
SEBI द्वारा फ्रंट-रनिंग योजना की जांच से पता चला है कि Ketan Parekh और सलगांवकर किस तरह से काम करते थे। इस योजना में एक बड़ा यू.एस.-आधारित एसेट मैनेजर शामिल था, जिसने सेबी के साथ foreign portfolio investors (FPIs) के रूप में कई फंड पंजीकृत किए थे। सलगांवकर ने इस फंड के लिए एक सलाहकार के रूप में काम किया, जो भारत में ट्रेडों को निष्पादित करने से पहले जानकारी प्रदान करता था। इस व्यवस्था ने उसे अनुचित लाभ प्राप्त करने की अनुमति दी।
जब सलगांवकर को यू.एस. फंड से ट्रेड ऑर्डर मिले, तो उसने इन निर्देशों को मोतीलाल ओसवाल और नुवामा के डीलरों को भेज दिया। हालांकि, ऑर्डर पास करने से पहले, उसने वही जानकारी पारेख के साथ साझा की। इसने Ketan Parekh को कोलकाता में अपने सहयोगियों को इस अंदरूनी जानकारी के आधार पर ट्रेड निष्पादित करने का निर्देश देने की अनुमति दी, जिससे मोतीलाल ओसवाल और नुवामा के डीलरों द्वारा किए गए वैध ट्रेडों को प्रभावी ढंग से फ्रंट-रन किया जा सके। इस हेरफेर से लगभग ₹66 करोड़ का अवैध लाभ हुआ।
SEBI की कार्रवाई और दंड
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निष्कर्षों के जवाब में, SEBI ने पारेख, सालगांवकर और इस योजना में शामिल 20 अन्य संस्थाओं के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की है। नियामक ने उन्हें शेयर बाजार में भाग लेने से रोक दिया है और उन्हें अवैध लाभ वापस करने का आदेश दिया है। वसूल की जाने वाली कुल राशि लगभग ₹66 करोड़ है। सेबी के अंतरिम आदेश में सभी संलिप्त संस्थाओं के डीमैट और बैंक खातों को फ्रीज करना भी शामिल है, जिससे उन्हें अपने म्यूचुअल फंड निवेश को भुनाने से रोका जा सके।
जांच से पता चला कि Ketan Parekh ने पहचान से बचने के लिए अक्सर अपने फोन नंबर बदले। उनके सहयोगियों ने अपने संचार को छिपाने के लिए “जैक”, “जॉन” और “भाई” जैसे विभिन्न छद्म नामों का इस्तेमाल किया। गोपनीयता का यह स्तर इस बात को उजागर करता है कि पारेख और उनका नेटवर्क नियामक अधिकारियों की जांच से बचने के लिए किस हद तक गया।
शामिल पक्षों के लिए आगे की राह
SEBI ने शामिल पक्षों को अपना मामला पेश करने और अपने कार्यों का बचाव करने के लिए 21 दिन का समय दिया है। यह अवधि उनके लिए जांच के निष्कर्षों के खिलाफ बहस करने के लिए महत्वपूर्ण होगी। इस मामले के निहितार्थ सीधे तौर पर शामिल व्यक्तियों से परे हैं; यह भारतीय शेयर बाजार की अखंडता और नियामक निरीक्षण की प्रभावशीलता पर सवाल उठाता है। Hyundai Creta Electric का खुलासा: 473 Kms की रेंज, 51.4 kWh बैटरी के साथ मार्केट में धमाकेदार एंट्री2025 से New Pension Rules: अब भारत में कहीं भी EPS जमा करेंDiljit Dosanjh और PM Modi की New Year पर मुलाकात
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, यह देखना दिलचस्प होगा कि SEBI Ketan Parekh और उनके सहयोगियों द्वारा पेश किए गए बचाव को कैसे संभालती है। परिणाम भारत में बाजार हेरफेर और अंदरूनी व्यापार के भविष्य के मामलों के लिए एक मिसाल कायम कर सकते हैं। वित्तीय समुदाय बारीकी से देख रहा है, क्योंकि इस घोटाले के नतीजों का निवेशकों के विश्वास और बाजार की स्थिरता पर स्थायी प्रभाव पड़ सकता है।