ISRO ने SpaDeX सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक डॉक किया, चंद्रयान-4 और गगनयान का रास्ता साफ
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष में दो सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक डॉक कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। इस सफलता के साथ, भारत उन चार देशों की सूची में शामिल हो गया है जो अंतरिक्ष में रेंडेज़वस, डॉकिंग और अनडॉकिंग की तकनीक में महारत रखते हैं। यह उपलब्धि भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण योजनाओं के लिए एक बड़ा कदम है।
SpaDeX डॉकिंग प्रयोग का विवरण
SpaDeX Docking Update:
🌟Docking Success
Spacecraft docking successfully completed! A historic moment.
Let’s walk through the SpaDeX docking process:
Manoeuvre from 15m to 3m hold point completed. Docking initiated with precision, leading to successful spacecraft capture.…
— ISRO (@isro) January 16, 2025
यह डॉकिंग ऑपरेशन 16 जनवरी 2025 की सुबह में किया गया। इसमें SDX01 (“चेज़र”) और SDX02 (“टारगेट”) नामक दो सैटेलाइट्स शामिल थे। दोनों सैटेलाइट्स का वजन लगभग 220 किलोग्राम था। इन सैटेलाइट्स ने ISRO के इंजीनियरों के सटीक दिशा-निर्देशों के अनुसार अंतरिक्ष में एक-दूसरे के साथ संरेखण और डॉकिंग की।
ISRO ने मिशन अपडेट में कहा, “चेज़र सैटेलाइट ने 15 मीटर होल्ड पॉइंट से 3 मीटर होल्ड पॉइंट तक सफलतापूर्वक पैंतरेबाज़ी की। डॉकिंग की प्रक्रिया सटीकता के साथ शुरू हुई और टारगेट सैटेलाइट का सुरक्षित पकड़ लिया गया। डॉकिंग के बाद रिट्रैक्शन और स्टेबलाइजेशन प्रक्रिया पूरी की गई।”
यह सैटेलाइट्स 30 दिसंबर 2024 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से PSLV C60 रॉकेट के जरिए लॉन्च किए गए थे। इन्हें शुरू में 475 किमी की सर्कुलर कक्षा में स्थापित किया गया था। इसके बाद, 1.5 किमी की प्रारंभिक दूरी से केवल 3 मीटर की दूरी तक इन सैटेलाइट्स को पास लाने के लिए कई जटिल पैंतरेबाज़ी की गई।
मिशन की चुनौतियां और देरी
इस डॉकिंग को 7 जनवरी को अंजाम देने की योजना थी, लेकिन तकनीकी दिक्कतों के कारण इसे स्थगित करना पड़ा। इसके बाद 9 जनवरी को इसे फिर से शेड्यूल किया गया, लेकिन अप्रत्याशित चुनौतियों ने इसे और आगे बढ़ा दिया। 11 जनवरी को एक और प्रयास किया गया, लेकिन अंतिम समय में डॉकिंग प्रक्रिया को रोक दिया गया।
सभी तकनीकी समस्याओं की गहन समीक्षा और सुधार के बाद, ISRO ने पुष्टि की कि दोनों सैटेलाइट्स अच्छी स्थिति में हैं। 16 जनवरी को डॉकिंग प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। इस सफलता को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक बड़ा मील का पत्थर माना जा रहा है। Haryana में गरीबों को मिलेगा आशियाना: 100 वर्ग गज के प्लॉट का आवंटन जल्दजापानी कंपनी TDK का Haryana में बड़ा निवेश, युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर
भारत के अंतरिक्ष लक्ष्यों पर प्रभाव
SpaDeX मिशन भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं का प्रतीक है। यह स्वायत्त डॉकिंग तकनीक को प्रदर्शित करता है, जो चंद्रयान-4 मिशन और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksh Station) जैसी योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण है।
स्वायत्त डॉकिंग तकनीक उन मिशनों के लिए अनिवार्य है, जिनमें कई सैटेलाइट्स को मिलकर काम करना पड़ता है। इस तकनीक का उपयोग ISRO के चंद्रयान-4 मिशन में किया जाएगा। इस मिशन में कई लॉन्च किए जाएंगे, जिनके तहत चंद्रमा की सतह से चट्टान और मिट्टी के नमूने लाने के लिए डॉकिंग प्रक्रिया की जाएगी।
इसके अलावा, यह उपलब्धि भारत की गहन अंतरिक्ष अन्वेषण क्षमताओं को मजबूत करती है और चंद्रमा पर संभावित मानवयुक्त मिशनों की नींव रखती है, जिन्हें 2040 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
भारत ने विशिष्ट देशों के समूह में बनाई जगह
इस सफलता के साथ, भारत अब अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की सूची में शामिल हो गया है, जिन्होंने अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल की है। यह उपलब्धि भारत की वैश्विक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में अग्रणी भूमिका को और सुदृढ़ करती है।
भविष्य के लिए एक मजबूत नींव
SpaDeX मिशन की सफलता सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह ISRO की दृढ़ता और रचनात्मकता का प्रमाण भी है। यह डॉकिंग प्रयोग न केवल भारत की अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष समुदाय में साख बढ़ाता है, बल्कि भविष्य के महत्वाकांक्षी मिशनों के लिए तैयारियों को भी रेखांकित करता है।
चाहे वह भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण हो या चंद्रमा और अन्य ग्रहों की खोज, यह उपलब्धि एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में दर्ज हो गई है। जैसे-जैसे भारत ब्रह्मांड की गहराई में अपनी यात्रा को आगे बढ़ा रहा है, SpaDeX डॉकिंग की यह सफलता भारत की असीम संभावनाओं का प्रतीक बनी रहेगी।