Adani पर हमला: इकोसिस्टम और शक्ति के खेल का पर्दाफाश
कल एक महत्वपूर्ण कानूनी घटनाक्रम में, भारतीय उद्योगपति Adani को अमेरिका में एक रिश्वत कांड में आरोपित किया गया। Adani पर हमला/यह आरोप अमेरिका के न्यू यॉर्क स्थित ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट कोर्ट द्वारा लगाया गया है, जिसमें कहा गया है कि Adani ने छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा और जम्मू कश्मीर जैसे भारतीय राज्यों में अपनी निवेश योजनाओं को लेकर भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी। इस लेख में हम इस मामले से जुड़े व्यापक इकोसिस्टम को समझने की कोशिश करेंगे, जिसमें कुछ महत्वपूर्ण व्यक्ति, उनके कनेक्शन और वो ताकतें शामिल हैं जो इस कानूनी चुनौती के पीछे हो सकती हैं।
रिश्वत कांड: एक नजदीकी नजर
जारी किए गए 54 पेज के आरोपपत्र में कहा गया है कि अदानी ने 2021 और 2022 के बीच इन राज्यों में अपनी निवेश योजनाओं को आसान बनाने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी। आरोप के अनुसार, Gautam Adani ने अमेरिका स्थित बैंकों और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से $2 बिलियन का ऋण लिया और इस दौरान यह आश्वासन दिया कि वह अनैतिक प्रथाओं में संलिप्त नहीं होगा। हालांकि, सवाल यह उठता है कि अगर यह अपराध भारत में हुआ तो अमेरिका अदालत क्यों हस्तक्षेप कर रहा है?
इसका जवाब कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार इस बात में है कि अगर आरोप सही हैं, तो यह अपराध भारत में हुआ। सामान्यत: ऐसे मामलों को भारतीय अदालतों द्वारा निपटाया जाता है, और अब तक भारत में अदानी के खिलाफ कोई रिश्वत कांड का मामला दर्ज नहीं हुआ है। तो फिर अमेरिका अदालत क्यों इस मामले में घुसी है?
चक शूमर (Chuck Schumer): पर्दे के पीछे का आदमी
इसका उत्तर समझने के लिए हमें चक शूमर, न्यू यॉर्क के वरिष्ठ अमेरिकी सीनेटर और सीनेट के वर्तमान बहुमत नेता को समझना होगा। शूमर, जो 1999 से पद पर हैं, अमेरिकी राजनीतिक शक्ति के एक प्रमुख व्यक्ति रहे हैं। उनका अमेरिकी सरकार में प्रभाव बहुत गहरा है, क्योंकि अमेरिकी न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया में सीनेट का महत्वपूर्ण हाथ होता है। शूमर के पास सीनेट बहुमत नेता के रूप में न्यायधीशों की नियुक्ति करने की शक्ति है, जो सीधे तौर पर अदानी के खिलाफ इस कानूनी मामले में शामिल हो सकते हैं।
लेकिन शूमर का प्रभाव केवल उनके राजनीतिक करियर तक सीमित नहीं है। शूमर और जॉर्ज सोरोस के बीच लंबा संबंध रहा है। सोरोस, जो एक प्रसिद्ध हंगेरियन-अमेरिकी वित्तीय सलाहकार और परोपकारी हैं, शूमर के प्रमुख वित्तीय दानकर्ता रहे हैं। दरअसल, सोरोस की दान राशि से शूमर 2021 में सीनेट बहुमत नेता बने और न्यायधीशों की नियुक्ति की शक्ति प्राप्त की। शूमर और सोरोस की साझेदारी ने एक ऐसा इकोसिस्टम तैयार किया है, जो इस कानूनी मामले पर प्रभाव डाल सकता है।
सोरोस ने खुद यह कहा है कि वह अदानी और नरेंद्र मोदी को खत्म करने की योजना बना रहे हैं। इस संदर्भ में यह सवाल उठता है: क्या सोरोस और शूमर इस अदानी के खिलाफ अमेरिकी अदालत द्वारा दायर किए गए आरोप के पीछे हैं?
ब्रीऑन पीस (Breon Peace): वह अमेरिकी अटॉर्नी जो Adani पर आरोप लगा रहे हैं
ब्रीऑन पीस, न्यू यॉर्क के ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट के अमेरिकी अटॉर्नी, वह व्यक्ति हैं जिन्होंने अदानी के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया। पीस को शूमर द्वारा 2021 में नियुक्त किया गया था और सीनेट ने उन्हें अमेरिकी अटॉर्नी के रूप में पुष्टि दी। यह नियुक्ति शूमर की राजनीतिक ताकत को और भी मजबूत करती है, क्योंकि शूमर की मदद से पीस को यह पद मिला। इस संदर्भ में, यह माना जा सकता है कि पीस शूमर के आदेशों का पालन कर रहे हैं, और उनका भूमिका सिर्फ एक “रबर स्टैम्प” की तरह हो सकती है।
सोरोस (Soros), शूमर और ‘डीप स्टेट’ इकोसिस्टम
अब हमें ‘डीप स्टेट’ के अवधारणा को समझने की जरूरत है, जो उन शक्तियों का नेटवर्क है जो पर्दे के पीछे काम करता है, अक्सर अपनी व्यक्तिगत एजेंडों के लिए। इस मामले में, यह सोरोस के वित्तीय समर्थन, शूमर की राजनीतिक शक्ति, और पीस की कानूनी प्राधिकरण का संयोजन है जो अदानी के खिलाफ इस कानूनी मामले को मजबूती से बढ़ावा दे रहा है।
सोरोस, जो अदानी की बढ़ती हुई ताकत को खतरे के रू
प में देख रहे हैं, ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह अदानी और मोदी को खत्म करने की योजना बना रहे हैं। शूमर और उनके समर्थन से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि अदानी पर कानूनी कार्रवाई को तेज़ी से अंजाम दिया जाए।
निकोलस गरॉफिस (Nicholas Garaufis): वह न्यायाधीश जिनकी ट्रम्प से शत्रुता है
इस मामले में न्यायाधीश निकोलस गरॉफिस का भी महत्वपूर्ण स्थान है। गरॉफिस, जिन्हें बिल क्लिंटन द्वारा नियुक्त किया गया था, ट्रम्प प्रशासन के प्रति अपनी शत्रुता के लिए जाने जाते हैं। उनके फैसले कई बार राजनीतिक रूप से विवादास्पद रहे हैं, जैसे कि 2016-2020 के दौरान ट्रम्प के फैसलों को रद्द करना और आप्रवासन से जुड़े मुद्दों पर निर्णायक भूमिका निभाना।
उनकी राजनीतिक प्रवृत्तियों को देखते हुए, यह सवाल उठता है कि क्या उनके व्यक्तिगत विचार इस मामले की निष्पक्षता को प्रभावित कर सकते हैं।500 रुपये से कम कीमत के गैजेट
इकोसिस्टम: शक्ति और प्रभाव का जाल
अंत में, अदानी के खिलाफ यह कानूनी लड़ाई केवल एक व्यक्ति या एक मामले का सवाल नहीं है, बल्कि यह एक इकोसिस्टम का हिस्सा है—एक जाल जो शक्ति, पैसे और प्रभाव से बुना गया है। जैसा कि हम देख सकते हैं, सोरोस, शूमर, पीस, और गरॉफिस सभी इस इकोसिस्टम के हिस्से हैं, जो अदानी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई को सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं।
यह मामला केवल कानून से संबंधित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक राजनीति, व्यापार और न्यायिक नियुक्तियों का हिस्सा बन चुका है। अदानी की कानूनी लड़ाई अमेरिका की अदालतों में भले ही चल रही हो, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया को समझने के लिए हमें इसके इकोसिस्टम को समझना होगा।
निष्कर्ष: इकोसिस्टम को समझना
अंत में, अदानी के खिलाफ कानूनी समस्या केवल एक घटना नहीं है, बल्कि यह एक पूरी तरह से विस्तारित शक्ति और प्रभाव के नेटवर्क का हिस्सा है। जैसे-जैसे यह मामला अदालतों में आगे बढ़ेगा, यह जरूरी होगा कि हम इस इकोसिस्टम को समझें और जानें कि इसके पीछे कौन से शक्तिशाली लोग और संस्थाएँ काम कर रही हैं।क्या है Gautam Adani पर लगे आरोपों का सच?