Ravi Kumar Dahiya: भारतीय कुश्ती का चमकता सितारा
Ravi Kumar Dahiya, जिन्हें प्यार से “हमारे लाड़ले” कहा जाता है, भारतीय कुश्ती में एक ऐसा नाम हैं जो न केवल उनकी मेहनत और संघर्ष की कहानी कहता है, बल्कि हर भारतीय को गर्व से भर देता है। 2020 टोक्यो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतकर उन्होंने साबित कर दिया कि मेहनत और आत्मविश्वास से बड़ी से बड़ी चुनौती को पार किया जा सकता है।
प्रारंभिक जीवन: संघर्ष की शुरुआत
12 दिसंबर 1997 को हरियाणा के सोनीपत जिले के नहरी गांव में जन्मे Ravi Kumar Dahiya का बचपन एक सामान्य किसान परिवार में बीता। उनके पिता, राकेश ढहिया, ने रवि के सपनों को साकार करने के लिए वर्षों तक नहरी से दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम तक रोजाना 39 किलोमीटर सफर तय किया। वहां उन्होंने रवि के लिए दूध और फल पहुंचाए, जो उनकी कुश्ती की डाइट का अहम हिस्सा थे।
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कुश्ती का जुनून
रवि ने 10 साल की उम्र में छत्रसाल स्टेडियम में सतपाल सिंह की देखरेख में कुश्ती शुरू की। 2015 में जूनियर वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतकर उन्होंने अपने हुनर का पहला बड़ा परिचय दिया। हालांकि, 2017 में लगी चोट के कारण उनका करियर रुक गया, लेकिन उन्होंने 2018 में दमदार वापसी की और वर्ल्ड U23 चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतकर भारतीय कुश्ती में अपनी जगह पक्की की।
ओलंपिक और अन्य उपलब्धियां
2019 में रवि ने वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता और 2020 ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया। टोक्यो ओलंपिक में उन्होंने सिल्वर मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया। वह यह उपलब्धि हासिल करने वाले भारत के दूसरे पहलवान बने।
2022 में, उन्होंने बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में गोल्ड मेडल जीता और फिर एक बार भारतीय कुश्ती में अपनी श्रेष्ठता को साबित किया।
राष्ट्रीय सम्मान और पुरस्कार
रवि कुमार को 2021 में भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान “मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार” से सम्मानित किया गया। ओलंपिक में सिल्वर जीतने के बाद उन्हें भारत सरकार, हरियाणा सरकार और अन्य संगठनों से करोड़ों रुपए के पुरस्कार मिले।
संघर्षों को पार करने की प्रेरणा
रवि की यात्रा केवल उपलब्धियों की कहानी नहीं है, बल्कि यह संघर्ष और दृढ़ निश्चय का प्रतीक भी है। चोटों और चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनका हर कदम यह सिखाता है कि कठिनाई चाहे जितनी बड़ी हो, उसे मेहनत और हौसले से पार किया जा सकता है।
भविष्य की ओर
Ravi Kumar Dahiya का लक्ष्य अब भारत के लिए ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतना है। वह कुश्ती को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।
हमारे लाड़ले
Ravi Kumar Dahiya केवल एक पहलवान नहीं, बल्कि लाखों भारतीयों के लिए प्रेरणा हैं। उनका समर्पण और संघर्ष हमें यह सिखाता है कि बड़े सपनों को पूरा करने के लिए कभी हार नहीं माननी चाहिए। वह भारतीय कुश्ती के ऐसे सितारे हैं, जिनकी चमक हमेशा हमें गर्व का एहसास कराएगी।WI vs BAN T20 मैच के दौरान Jaker Ali ने खेल भावना दिखाई, वेस्टइंडीज के स्टार को घायल देखकर रन लेने से परहेज कियाIMD Alert: आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में heavy rain का अलर्ट जारी कियाआज का राशिफल:शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024
“Ravi Kumar Dahiya, हमारे लाड़ले, ने भारतीय कुश्ती को गौरवशाली ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। उनकी कहानी हर युवा के लिए प्रेरणा है।”