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साइबर ठगी का बढ़ता खतरा: बचने के लिए जानें ज़रूरी उपाय

Cyber Crime

Cyber Crime

साइबर ठगी से बचने के तरीके

विषय सूची (Table of Contents):

1. परिचय

दीवाली के त्योहारी मौसम में जहां मुंबई की सड़कों, कार्यालयों और मॉल्स में रौनक रहती है, वहीं खरीदारी का यह उछाल—चाहे ऑनलाइन हो या ऑफलाइन—साइबर ठगी और वित्तीय अपराधों में भी वृद्धि लाता है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, पिछले वर्ष में 11 लाख से अधिक साइबर धोखाधड़ी के मामले दर्ज किए गए हैं।

खासकर वरिष्ठ नागरिक इन घोटालों का अधिक शिकार हो रहे हैं। नीचे सबसे अधिक प्रचलित चार घोटालों और उनसे बचाव के उपाय बताए गए हैं।

2. प्रमुख साइबर ठगी घोटाले

(i) फर्जी ग्राहक सहायता घोटाला

यह घोटाला तब होता है जब लोग आधिकारिक ग्राहक सहायता चैनलों की बजाय गलत नंबरों पर संपर्क करते हैं, जैसे कि वीडियो प्लेटफ़ॉर्म या नकली कमेंट सेक्शन में दिए गए नंबरों पर।
फ्रॉडस्टर पीड़ित को मोबाइल पर स्क्रीन-शेयरिंग सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने के लिए कहते हैं, जिससे वे दूर से ही फोन को नियंत्रित कर लेते हैं। इसे मोबाइल हाईजैकिंग कहते हैं।

(ii) Digital गिरफ्तारी घोटाला

इस घोटाले में ठग खुद को पुलिस, प्रवर्तन निदेशालय (ED), या कस्टम अधिकारी के रूप में पेश करते हैं। वे दावा करते हैं कि पीड़ित की पहचान का उपयोग कर अपराध किया गया है।
धमकियों के जरिए वे पीड़ित को अलग-थलग कर बार-बार पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर करते हैं।

(iii) आधार से जुड़ा वित्तीय घोटाला₹1000-से-कम-के-earbuds – अब बेहतरीन फीचर्स भी बजट में!

आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (AePS) का उपयोग कर ठग बिना सहमति के पीड़ित के बैंक खाते से पैसे निकाल लेते हैं। यह घोटाला बायोमेट्रिक डेटा के दुरुपयोग पर आधारित है।

(iv) सोशल मीडिया पर पहचान धोखाधड़ी

सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म पर ठग नकली प्रोफ़ाइल बनाते हैं।
वे पीड़ित की तस्वीरें उपयोग कर परिवार या दोस्तों का नाटक करते हैं और आपातकालीन स्थिति का बहाना बनाकर तुरंत पैसे मांगते हैं। पीड़ित यह सोचकर पैसे भेजते हैं कि वे किसी परिचित की मदद कर रहे हैं, लेकिन यह एक धोखा साबित होता है।

3. बचाव के उपाय

साइबर ठगी
साइबर ठगी

(i) आधार बायोमेट्रिक्स लॉक करें अपने आधार बायोमेट्रिक्स को लॉक करें ताकि आपकी सहमति के बिना AePS लेन-देन न हो सके। UIDAI वेबसाइट के “माय आधार” सेक्शन में जाकर यह प्रक्रिया पूरी करें।

(ii) सतर्क रहें किसी भी अनजान व्यक्ति या सेवा प्रदाता द्वारा ऐप डाउनलोड या सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करने को कहने पर सतर्क रहें।
अक्सर धोखेबाज तनावपूर्ण स्थितियों, जैसे अस्पताल में भर्ती, परिवार में मृत्यु, या संपत्ति लेन-देन का फायदा उठाते हैं।

(iii) क्यूआर कोड का सही उपयोग करें भुगतान करने के लिए क्यूआर कोड स्कैन करें। ध्यान रखें, पैसे प्राप्त करने के लिए क्यूआर कोड स्कैन करने की आवश्यकता नहीं होती।

(iv) गलत भुगतान का समाधान समझें अगर किसी अज्ञात व्यक्ति ने आपके खाते में पैसे ट्रांसफर किए हैं या अतिरिक्त भुगतान का दावा किया है, तो इसे हल करने के लिए किसी भरोसेमंद विशेषज्ञ से सलाह लें।

(v) लिंक और संदेश की सत्यता जांचें कोई भी लिंक या एसएमएस खोलने से पहले उसकी विश्वसनीयता की पुष्टि करें। अगर संदेह हो, तो जब तक स्रोत की प्रामाणिकता स्थापित न हो, उससे संपर्क न करें।

4. आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर

अगर आप साइबर अपराध का शिकार हो जाते हैं, तो तुरंत 1930 हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें। इस नंबर को सेव करें और ज़रूरत पड़ने पर उपयोग करें।

4. राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल

यदि आप किसी साइबर ठगी का शिकार होते हैं, तो आप अपनी शिकायत राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (National Cyber Crime Reporting Portal) पर भी दर्ज कर सकते हैं।यह पोर्टल https://cybercrime.gov.in पर उपलब्ध है। यहां आप वित्तीय धोखाधड़ी, सोशल मीडिया पर अपराध, और अन्य साइबर संबंधित शिकायतें अपलोड कर सकते हैं।हरियाणा कौशल रोजगार निगम ने नई नौकरियों की घोषणा

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